महाकुंभ 2025 धार्मिक आस्था या राजनीतिक एकीकरण

प्रभात संवाद, 1 फरवरी, जयपुर। भारत धर्मनिरपेक्ष देश है । जहां सभी धर्म को सम्मान दिया जाता है लेकिन हिंदू देश होने के कारण हिंदू धर्म सदैव प्रभावशाली रहा है। 21वीं शताब्दी में भी भारत अपनी परंपरागत धार्मिक आस्थाओं से बाहर नहीं निकल पा रहा है । 2025 में आयोजित महाकुंभ मेला इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है जो गंगा ,जमुना और सरस्वती नदियों के संगम स्थल पर आयोजित हो रहा है इस महाकुंभ का आयोजन मूल रूप से साधु -संतों की पवित्र स्नान के लिए किया जाता है। लेकिन वर्तमान में ऐसी धार्मिक स्थलों को भी राजनीतिक रूप दे दिया गया है और जनता धार्मिक भावनाओं के साथ महाकुंभ में नहीं जा रही है बल्कि एक दूसरे की देखा देखी या प्रतिस्पर्धा करते हुए वहां पहुंच रही है यही कारण है कि धार्मिक स्थल पर्यटक स्थल में तब्दील हो रहे हैं जिसके कारण आवश्यक परिस्थितियों का निर्माण हो रहा है और भगदड़ चोरी जैसे घटनाएं अमानवीय व्यवहार को प्रदर्शित करती है। इसके समाधान के लिए प्रशासन व सामाजिक नागरिकों को पुनः विचार करना होगा।

डॉ.सरोज जाखड़

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