परीक्षा का डर : पर्सेटेंज की दौड ही क्या जीवन में सफलता का पैमाना ?


प्रभात संवाद, 7 फरवरी, जयपुर। 10वीं 12वीं की बोर्ड परीक्षा की समय सारणी जारी हो चुकी है ऐसे में सभी विद्यार्थियों के मन में एक शंका या डर होता है कि यदि मेहनत का परिणाम सकारात्मक नहीं हुआ तो क्या होगा । यही प्रश्न प्रत्येक विद्यार्थी को भावनात्मक रूप से कमजोर बना देता है क्योंकि प्रतिस्पर्धा युग में व्यक्ति का महत्व नहीं उसके द्वारा अर्जित मूल्यांकन का महत्व है यदि यह सही नहीं है तो माता-पिता व समाज उसकी तुलना व्यर्थ के संबंधियों की बच्चों से करने लगते हैं ऐसे में विद्यार्थी के मन में हीनता की भावना उत्पन्न होती है और वह धीरे-धीरे दबाव व तनाव की और अग्रसर होने लगता है ऐसे समय में माता-पिता की जिम्मेदारी है कि विद्यार्थी को केवल मेहनत करने के लिए प्रेरित करें । ना कि उस पर यह दबाव बनायें की 90% से अधिक अंक लाना जरूरी है। परीक्षा के समय विद्यार्थियों को अच्छा माहौल प्रदान करें । छात्रों का आत्मविश्वास बढ़ाने का प्रयास करें ।पढ़ने की अधिक समय अवधि के बजाय उन्हें समय पर पाठ्यक्रम पूरा कर के 8 घंटे की नींद लेने दे। ताकि मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित न हो और परीक्षा के समय सही विचारों का संचार हो सके । सभी बोर्ड छात्राओं को आगामी परीक्षा परिणाम के लिए हार्दिक शुभकामनाएं।


डॉ. सरोज जाखड़
समाजशास्त्री

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