लडडू मार और लट्ठ मार होली मनाने के लिए लाखों लोग आते हैं मथुरा

प्रभात संवाद, 12 मार्च, जयपुर।
फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होली का पर्व मनाया जाता है। दो दिन मनाए जाने वाले इस पर्व में पहले दिन होलिका दहन किया जाता है। इसका संबंध भक्त प्रहलाद की कहानी से है, जो भगवान विष्णु के भक्त थे। प्रहलाद को मारने के लिए उनके पिता हिरण्यकश्यप ने उन्हे होलिका की गोद में बिठा दिया था। जिससे वह जिंदा अग्नि में जल जाए। लेकिन भगवान ने भक्त पर अपनी कृपा की ओर प्रहलाद के लिए बनाई चिता में स्वयं होलिका जलकर मर गई। इसलिए इस दिन होलिका दहन की परंपरा है। अगले दिन रंगों से होली खेली जाती है। इस पर्व पर बच्चे से लेकर बूढे एक दूसरे को रंग और गुलाल लगाकर खुशियां मनाते है। मथुरा की होली देश ओर विदेश में भी प्रसिद्ध है। यहां की लडडू होली और लटठमार होली देखने लाखों लोग मथुरा जाते हैं मान्यता है कि घर में सुख शांति और समृद्धि के लिए होली की पूजा की जाती है। होली से 8 दिन पहले होलाष्टक शुरु हो जाते है, जो कि होलिका दहन तक रहते है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलाष्टक के दौरान कोई भी मांगलिक कार्य की मनाही होती है। इसलिए शुभ कार्यो पर रोक लग जाती है।

शेखर झा

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